'मुस्कान हो तुम इन होठो की, धड़कन हो तुम इस दिल की, हसी हो तुम इस चेहरे की, जान हो तुम इस रूह की!'
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते
कसूर तो था इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर बैठी हमने तो खामोश रहने की ठानी थी पर बेवफा ये जुबान इज़हार कर बैठी
वो प्यारी सी हंसी वो उसका खिलखिलाना, बड़ी मासूमियत से यूं नज़रे मिलाना, जो देखूँ मैं उसको, तो उसका शरमाना, मेरे दिल में हज़ारों उमंगें जगाना |